राव ऊदाजी जी
Himmat Singh • 29 Nov 2025
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Yodha
Hindi
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राव ऊदाजी का जन्म वि.सं.1519 (1462 ई.) को मिगसर वदी 10 गुरुवार को हुआ।
राणी मांगलयाणीजी इनकी माता थी।
ऊदाजी अपने गुरु वचनसिद्ध योगीराज रिधरावलजी" के आशिर्वाद व अपने पराक्रम से जैतारण सिंधल राजपूतों से जीत कर नया राज्य स्थापित किया।
इनके वंशज "उदावत" कहलाए।
जैतारणगढ़ जीतियो, मिती अजयगढ़ छीन।
आसिया बल ऊर्देकियो आडावल आधीन।।
राव ऊदाजी वि.स.1539 (1482 ई.) वैशाख सुदी 3 को जैतारण की गद्दी पर बैठे। उनका राजतिलक पुरोहित भोजराजी ने किया था, जिस कारण उन्हें गांव तालकिया" सांसण (सीव) में दिया।
राव ऊदाजी ने जैतारण में किले की नींव वि.सं. 1541 माघ सुदी में दी और वि.सं. 1542 की कार्तिक सुदी 15 को कमठा सम्पूर्ण हुआ। इसमें 81000/- रुपये व्यय होने का उल्लेख आता है।
कांसी पीतळ कोसता, चढसी बैलां चोर।
भिड़ ऊदो भालां स्वगा, जुलम हटायो जोर।।
गांव बाणीयां गह किया, कांकड़ सुख करसाणा
मेर चोर दल मेटिया, ऊदा तुझ अहसाणा।
ढबगा बेरा ढाणियां, गांव हुआ गुलजार।
आंवे नेड़े चानणो, ऊदा तुझ आभार।।
राव ऊदाजी के श्री गोपाल जी महाराज का इष्ट था। उन्होंने जैतारण में श्री गोपाल जी का मन्दिर बनवा कर गोपालद्वारा की स्थापना की तथा पूजा व्यवस्था हेतु कुंआ व 200 बीघा जमीन गोपालद्वारा को अर्पण की।
मन्दिर की प्रतिष्ठा वि.सं. 1542 कार्तिक सुदी पूनम को सम्पन्न हुई। राव ऊदाजी ने अपने पिता महाराज कुमार सूजाजी के साथ अनेक युद्धों में भाग लिया, और पराक्रम दिखा कर प्रसिद्धि प्राप्त की।
ऊदाजी ने जालौर के भंवराणी स्थान पर युद्ध कर शत्रुओं का उन्मूलन किया था।
भवराणी भारा थी, ऊो आपलि आवुधै I
वणियों असि विहंडाविये. हद रंगिये खग हाथी॥
वि.सं.1567 वैशास्त्र सुदी 15 को राव ऊदाजी का जैतारण में स्वर्गवास हुआ। इनके 4 राणियां थी,
चारों ही राणियां साथ में सती हुई। इनके 7 पुत्र हुए। जिनका दोहा इस प्रकार है की
पाट "माल" प्रतपै सको संसार सुजाणे,
डुगरसी" नीबाज वस खट वन्न बस्वाणे।
गिरीं रखीवकरन" हुवो आडो गज थट्टा,
रायपुर "नेतसी लिया रावतां सूभट्टां।
"वणवीर' "जैत" प्रगड़े वसे झूठे "खेत" अभंग भड़,
आपरी करी ऊदावतां जडो बाण अडोल तड़।।
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राठौड़