भाटी वंश की शाखाएं
Himmat Singh • 08 Nov 2025
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History
Hindi
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गोगली भाटी: भाटी के पुत्र मंगलराव के बाद क्रमश: मंडनराव, सूरसेन, रघुराव, मूलराज, उदयराज व मझण राव हुए। मझणराव के पुत्र गोगली के वंशज गोगली भाटी हुए। बीकानेर राज्य में जेगली गाँव इनकी जागीर में था।
सिंधराव भाटी : मझणराव के भाई सिंधराव के वंशज सिंधराव भाटी हुए। (नैणसी री ख्यात भाग 2 पृ. 66) पूगल क्षेत्र में जोधासर (डेली) मोतीगढ़, मकेरी, सिधसर, पंचकोसा आदि इनकी जागीर थी। बाद में सियासर, चौगान, डंडी, सपेराज व लद्रासर इनकी जागीर रही।
लड्डुवा भाटी : मझणराव के पुत्र मूलराज के पुत्र लडवे के वंशज।
चहल भाटी : मूलराज के पुत्र चूहल के वंशज।
खंगार भाटी : मझण राव के पुत्र गोगी के पुत्र खंगार के वंशज।
धूकड़ भाटी : गोगी के पुत्र धूकड़ के वंशज।
बुद्ध भाटी : मझबराव के पुत्र संगमराव के पुत्र राजपाल और राजपाल का पुत्र बुद्ध हुआ। इस बुद्ध के बुद्ध भाटी हुए। (पूगल का इतिहास पृ. 22)
धाराधर भाटी : बुद्ध के पुत्र कमा के नौ पुत्रों के वंशज धाराधर स्थान के नाम से धाराधर भाटी हए।
कुलरिया भाटी : मझबराव के पुत्र गोगी के पुत्र कुलर के वंशज (गोगी के कुछ वंशज अभेचड़ा मुसलमान हैं)
लोहा भाटी : मझबराव के पुत्र मूलराज के पुत्र लोहा वंशज (नैणसी री ख्यात भाग 2 सं. साकरिया पृ. 53 )
उतैराव भाटी : मझबराव के बड़े पुत्र केहर के पुत्र उतैराव के वंशज।
चनहड़ भाटी : केहर के पुत्र चनहड़ के वंशज।
खपरिया भाटी : रावल केहर के पुत्र खपरिया के वंशज।
थहीम भाटी : रावल केहर के पुत्र थहीम के वंशज।
जैतुग भाटी : राव तनुराव के पुत्र जेतुंग के वंशज। जेतुंग का विकमपुर पर अधिकार रहा। जेतुंग के बेटे गिरिराज ने गिरिराजसर गाँव बसाया। जेतुंग के पुत्र रतंनसी और चाह्डदे ने वीकमपुर पर अधिकार जमाया। वीकमपुर उस समय वीरान पड़ा था। फलोदी के सेवाडा गाँव और जोधपुर जिले के बड़ा गाँव मै जेतुंग भाटियो की बस्ती है। उसके अलावा भी कई कई गाँवो में जेतुंग भाटियो के घर मिलेंगे। (रावल केहर के पुत्र तनु के पुत्र जाम के वंशज साहूकार व्यापारी है। तनु के पुत्र माकड़ के माकड़ सुथार, देवास के वंशज रैबारी, राखेचा के राखेचा ओसवाल, डूला, डागा और चूडा के क्रमश: डूला, डागा व चांडक महेश्वरी हुए).
घोटक भाटी :तनु के पुत्र घोटक के वंशज।
चेदू भाटी : तनु के पुत्र विजयराज के पुत्र देवराज हुए। देवराज के पुत्र चेदू के वंशज चेदू भाटी कहलाये।
गाहड़ भाटी : तनु के पुत्र विजयराज के पुत्र गाहड़ के वंशज।
पोहड़ भाटी :विजयराज के बाद क्रमशः मूध, राजपाल व पोहड़ हुए।
मूलपसाव भाटी : रावल वछराव के पुत्र मूलपसाव के वंशज।
छेना भाटी :पोहड़ भाई के छेना के वंशज।
अटैरण भाटी :पोहड़ के भाई अटेरण के वंशज।
लहुवा भाटी :पोहड़ के भाई लहुवा के वंशज।
लापोड़ भाटी :पोहड़ के भाई लापोड़ के वंशज।
पाहु भाटी : विजयराज के बाद क्रमश: देवराज, मूंध, बच्छराज, बपेराव व पाहु हुए । इसी पाहु के वंशज पाहु भाटी कहलाये। जैसलमेर राज्य में चझोता, कोरहड़ी, सताराई आदि इनके गांव थे पूगल ठिकाने में रामसर इनकी जागीर था।
अणधा भाटी- रावल वछराज के बेटे इणधा के वंशज।
मूलपसाव भाटी- रावल वछराव के पुत्र मूलपसाव के वंशज।
धोवा भाटी : मूलपसाव के पुत्र धोवा के वंशज।
पावसणा भाटी :रावल बच्छराज (जैसलमेर) के बाद दुसाजी रावल हुए। दुसा के वंशज पाव के पुत्र पावसना भाटी कहलाये।
अभोरिया भाटी : रावल दुसाझ के भाई देसल के पुत्र अभयराव के वंशज।
राहड़ भाटी :रावल दुसाजी के पुत्र रावल विजयराज लांजा के पुत्र राहड़ के वंशज। (विजयराज लांजा के एक वंशज मागलिया के वंशज मांगलिया मुसलमान हुए (जैसलमेर की ख्यात परम्परा पत्रिका पृ. 44)
हटा भाटी- महारावल विजयराज लान्झा के पुत्र हटा के वंशज हटा भाटी कहलाये। हटा भाटी सिहडानो ,करडो और पोछिनो क्षेत्र में रहे।
भिंया भाटी -महारावल विजयराज लान्झा के पुत्र भीव के वंशज भिन्या भाटी कहलाये।
वांदर भाटी- महारावल सालवाहण के पुत्र वादर के वंशज। जेसलमेर के डाबलो गाँव इनके पट्टे में रहा।
पलासिया भाटी- महारावल सालवाहण (सलिवाहन) के बेटे हंसराज के वंशज पलासिया। महरावल के वंशजो ने बद्रीनाथ की पहाड़ियों में अपना राज्य स्थापित कर उसका नाम पहाड़ी रखा। वहां के राजा निसंतान म्रत्यु हो जाने पर हंसराज को गोद लीया गया। हंसराज जब वहा जा रहे थे तब मार्ग में पलाशव्रक्ष के निचे उसकी राणी ने एक बच्चे को जन्म दिया। उसका नाम पलाश रखा। हंसराज के बाद वह उतराधिकारी बना और उसके वंशज पलासिया कहलाये।
मोकळ भाटी- महारवल सालिवाहंण के बेटे मोकल के वंशज मोकल भाटी। ये पहले जेसलमेर में रहे फिर मालवा में जाकर बस गए। वहां अपने परिश्रम से उद्योगपति के रूप में विशिष्ट पहचान कायम की।
मयाजळ भाटी (मेहाजल)- महारावल सलिवाहंन के पुत्र सातल के वंशज मयाजळ कहलाये। म्याजलार इनका गाँव हे जेसलमेर में, इनके आलावा सिंध में है।
जसोड़ भाटी- महारावल कालण के पुत्र पालण के पुत्र जसहड के वंशज। जसहड के पुत्र दुदा जैसलमेर की गद्दी पर बैठे और शाका कर अपना नाम इतिहास के स्वर्णिम अक्षरों में लिखा गए। पूर्व में लाठी आदि 35 गाँव जसोड़ भाटियों के थे। देवीकोट में लक्ष्मण, वाणाडो, मदासर छोडिया व् राजगढ़ (देवीकोट) गाँव इनकी जागीरी में रहे। बड़ी सिड (नोख) पर भी पहले जसोड़ भाटियो का अधिकार था। जैसलमेर में २४ गाँवो (जसडावटी) के अतिरिक्त मारवाड़ में भी कई ठिकाने रहे है।
जयचंद भाटी : जसहड़ के भाई जयचंद के वंशज।
सीहड़ भाटी : जयचंद के पुत्र कैलाश के पुत्र करमसी के पुत्र सीहड़ हुआ, इसी सीहड़ के पुत्र सिहड़ भाटी हुए।
भड़कमल भाटी : जयचंद भाटी के भाई आसराव के पुत्र भड़कमल के वंशज।
जैतसिंहोत भाटी : रावल केलण (जैसलमेर) के बाद क्रमश: चाचक, तेजसिंह व जैतसिंह हुए। इसी जैतसिंह के वंशज जैतसिंहोत भाटी हुए।
चरड़ा भाटी : रावल जैतसिंह के भाई कर्णसिंह के क्रमश: लाखणसिंह, पुण्यपाल व चरड़ा हुए। इसी चरड़ा के वंशज चरड़ भाटी हुए।
लूणराव भाटी : जैसलमेर के रावत कर्णसिंह के पुत्र सतरंगदे के पुत्र लूणराव के वंशज।
कान्हड़ भाटी : रावल जैतसिंह के पुत्र कान्हड़ के वंशज।
ऊनड़ भाटी : कान्हड़ के भाई ऊनड़ के वंशज।
सता भाटी : कान्हड़ के भाई ऊनड़ के वंशज।
कीता भाटी : सता के भाई कीता के वंशज।
गोगादे भाटी : कीता के भाई गोगादे के वंशज।
हम्मीर भाटी : गोगादे के भाई हम्मीर के वंशज।
हम्मीरोत भाटी : जैसलमेर के रावल जैतसिंह के बाद क्रमशः मूलराज, देवराज व हम्मीर हुए। इसी हम्मीर के वंशज हम्मीरोत भाटी कहलाते हैं। जैसलमेर राज्य में पहले पोकरण इनकी थी। मछवालों गांव भी इनकी जागीर में था। जोधपुर राज्य में पहले खींवणसर पट्टे में था। नागौर के गांव अटबड़ा व खेजड़ला इनकी जागीर में था
अर्जुनोत भाटी : हम्मीर के पुत्र अर्जुन अर्जुनोत भाटी हुए।
केहरोत भाटी : रावल मूलराज के पुत्र रावल केहर के वंशज।
सोम भाटी : रावल केहर के पुत्र सोम के वंशज।
रूपसिंहोत भाटी : सोम के पुत्र रूपसिंह के वंशज।
मेहजल भाटी : सोम के पुत्र मेहजल के वंशज। मेहाजलहर गांव (जैसलमेर) राज्य) इनका ठिकाना रहा है।
जैसा भाटी : रावल केहर के पुत्र कलिकर्ण के पुत्र जैसा के वंशज जैसा भाटी हुए। जैसा चित्तौड़ गए, वहां ताणा 140 गांवों सहित मिला था। जैसा के पुत्र 1.आणद 2. जोधा 3. भैरुदास नामक 3 पुत्र हुए थे | जैसा के द्वतीय पुत्र जोधा के वंशजों का खूब विस्तार हुआ और जोधपुर राज्य की सेवा में रहकर अनेक जागीरें प्राप्त करने उन्हें सोभाग्य मिला | जोधा भाटी ने राव सूजा के यहाँ रहकर अपनी सेवाएं अर्पित की | विक्रमी संवत 1522 फाल्गुन बदी 2 को जोधा ने गंगाजी की यात्रा की थी | जोधा के पुत्र 1 राम 2 नारायण 3 दुर्जन 4 आशा 5 भोजा 6 पंचायण 7 माला, नामक सात पुत्र थे | रामा जोधपुर नरेश राव मालदेव की सेवा में रहा | उन्हें 15 गाँव समेत बालरवा की जागीर मिली | आणद के वंशजों की मारवाड़ में इतिहास में निर्णयाक भूमिका रही | इनके वंशज नीबा राव मालदेव जोधपुर के पास रहे थे। जोधपुर राज्य में इनकी बहुत से गांवों की जागीर थी। इनमें लवेरा (25 गांव) बालरवा (15 गांव), बीकमकोर आदि मुख्य ठिकाने थे। बीकानेर राज्य में कुदसू ताजीमी ठिकाना था। (उत्तरप्रदेश में जसावत, जायस व जेसवार नाम से यदुवंशी राजपूत पाए जाते हैं, जोकि संभवतः जैसा भाटी से माइग्रेट होकर वहां गए हैं)
सॉवतसी भाटी : कलिकर्ण के पुत्र सांवतसिंह के वंशज, कोटडी (जैसलमेर) इनका मुख्य ठिकाना था।
एपिया भाटी : सांवतसिंह के पुत्र एपिया के वंशज।
तेजसिंहोत भाटी : रावल केहर के पुत्र तेजसिंह के वंशज।
साधर भाटी : रावल केहर के बाद क्रमशः तराड़, कीर्तसिंह, व साधर हुए। इसी साधर के वंशज साधर भाटी कहलाये।
गोपालदे भाटी : रावल केहर के पुत्र तराड़ के पुत्र गोपालदे के वंशज।
लाखन (लक्ष्मण) भाटी : रावल केहर के पुत्र रावल लाखन (लक्ष्मण) के वंशज।
राजधर भाटी : रावल लाखन के पुत्र राजधर के वंशज। जैसलमेर राज्य में धमोली, सतोई, पूठवास, धधड़िया, सुजेवा आदि ठिकाने थे।
परबल भाटी : रावल लाखन के पुत्र शार्दूल के पुत्र पर्वत के वंशज।
इक्का भाटी : रावल लाखन के बाद क्रमशः रूपसिंह, मण्डलीक व जैमल हुए। जैमल ने भागते हुए हाथी को दोनों हाथों से पकड़ लिया अतः बादशाह ने इक्का (वीर) की पदवी दी। इन्हीं के वंशधर इक्का भाटी कहलाये। ये भाटी पोकरण तथा फलौदी क्षेत्र में हैं।
कुम्भा भाटी : रावल लाखन के पुत्र कुम्भा के वंशज। दुनियापुर गांव इनकी जागीर में था।
केलायेचा भाटी : रावल लाखन के बाद क्रमश: बरसी, अगोजी व कलेयेचा हुए। इन्हीं केलायेचा के वंशज केलायेचा भाटी कहलाये।
भैसड़ेचा भाटी : राजा भाटी के अनुज भेंसडेच के वंशज।
सातलोत भाटी : रावल बरसी के पुत्र रावल देवीदास के पुत्र मेलोजी के वंशज।
मदा भाटी : रावल देवीदास के पुत्र मदा के वंशज।
ठाकुरसिंहोत भाटी : रावल देवीदास के पुत्र ठाकुरसिंहोत के वंशज।
देवीदासोत भाटी : रावल देवीदास के पुत्र रामसिंह के वंशज देवीदास दादा के नाम से देवीदासोत भाटी कहे जाने लगे। सणधारी (जैसलमेर राज्य) इनका ठिकाना था।
दूदा भाटी : रावल देवीदास के पुत्र दूदा के वंशज।
जैतसिंहोत भाटी : रावल देवीदास के पुत्र रावल जैतसिंह के पुत्र मण्डलीक के वंशज जैतसिंह के नाम से जैतसिंहोत भाटी कहलाये।
बैरीशाल भाटी : रावल जैतसिंह के पुत्र बैरीशाल के वंशज।
लूणकर्णोत भाटी : रावल जैतसिंह के पुत्र रावल लूणकर्ण के वंशज। इनको मारोठिया रावलोत भाटी भी कहते हैं।
दीदा भाटी : रावल लूणकर्ण के एक पुत्र दीदा के वंशज।
मालदेवोत भाटी : रावल लूणकर्ण के पुत्र मालदेव के वंशज मालदेवोत भाटी कहलाये। खीवलो, बोकारोही, गुर्दा, खोखरो, चौराई, भेड़, मौखरी, पूनासर आदि जोधपुर तथा जैसलमेर राज्य में इनके ठिकाने रहे हैं।
खेतसिंहोत भाटी : मालदेव के एक पुत्र खेतसिंह के वंशज।
नारायणदासोत भाटी :खेतसिंह के भाई नारायणदास के वंशज।
सहसमलोत भाटी :खेतसिंह के भाई सहसमल के वंशज। आसियां, नवसर (पांच गांव) रिड़मलसर (12 गांव) खटोड़ी आदि ठिकाने रहे हैं।
नेतसोत भाटी :खेतसिंह के भाई डूंगरसिंह के वंशज।
डूंगरोत भाटी :खेतसिंह के भाई डूंगरसिंह के वंशज।
द्वारकादासोत भाटी : खेतसिंह के पुत्र ईश्वरदास के वंशज द्वारकादास के वंशज द्वारकादासोत भाटी कहलाये। छापण, टेकरी, बास, कोयलड़ी, बड़ागांव, डोगरी आदि गांवों की जागीर थी।
बिहारीदासोत भाटी : खेतसिंह के पुत्र बिहारीदास के वंशज। बड़ागांव, डोगरी आदि गांवों की जागीर थी।
संगतसिंह भाटी : खेतसिंह के पुत्र संगतसिंह के वंशज। सतयाव, घटयाणी, बालावा, आदि गांवों की जागीर थी।
अखैराजोत भाटी :खेतसिंह के बाद क्रमश: पंचायण, सुजाणासिंह, रामसिंह व अखैराज हुए। इन्हीं अखैराज के वंशज अखैराजोत भाटी हुए। हरसारी, रावर आदि गांव इनकी जागीर थे।
कानोत भाटी :खेतसिंह के पुत्र पंचायण के पुत्र कान के वंशज।
पृथ्वीराजोत भाटी :खेतसिंह के पुत्र पंचायण के पुत्र पृथ्वीराज के वंशज।
उदयसिंहोत भाटी :पंचायण के पुत्र रामसिंह के फतहसिंह और फतहसिंह के उदयसिंह हुए। इन्हीं उदयसिंह के वंशज उदयसिंह भाटी कहलाये। झाणा, अलीकुडी, झिझयाणी, निबली, गेहूं झाडली, हमीरो देवड़ा आदि इनके ठिकाने थे।
तेजमालोत भाटी :रामसिंह के पुत्र तेजमाल के वंशज। रणधा, मोढ़ा आदि इनके ठिकाने थे।
गिरधारीदासोत भाटी :पंचायण के भाई बाघसिंह के पुत्र गोरधन के पुत्र गिरधारीसिंह के वंशज। छोड़ इनकी जागीर थी।
वीरमदेवोत भाटी :पंचायण के भाई धनराज के पुत्र वीरमदे के वंशज। अडू, आदि गांवों की जागीर थी।
रावलोत भाटी : खेतसिंह के बड़े पुत्र सबलसिंह, जैसलमेर के रावल हुए। इन्हीं रावल सबलसिंह के वंशज रावलोत भाटी हुए। जैसलमेर राज्य में दूदू, नाचणा, लाखमणा आदि बड़े ठिकाने थे। इनके अलावा पोथला, अलाय, सिचा व गाजू (मारवाड़) कीरतसर (बीकानेर राज्य) मोलोली व मोई (मेवाड़) उल्ल्ले शाहपुरा (मेवाड़) तथा जैसलमेर राज्य में लाठी, लुहारीकी, खरियो, सतो आदि इनके ठिकाने थे।
रावलोत देरावरिया भाटी : रावल मालदेव जैसलमेर के पुत्र झानोराम के पुत्र रामचन्द्र थे। जैसलमेर के रावल मनोहरदास (वि. 1684-1707) के निःसंतान रहने पर रामचन्द्र जैसलमेर के रावल बने पर थोड़े ही समय के बाद मालदेव के पौत्र सबलसिंह जैसलमेर के रावल बन गए। रामचन्द्र को देरावर का राज्य दिया गया। रामचन्द्र के वंशज इसी कारण रावलोत देरावरिया कहलाते हैं। रामचन्द्र के वंशजों से देरावर मुसलमानों ने छीन ली तब रामचन्द्र के वंशज रघुनाथसिंह के पुत्र जालिमसिंह को बीकानेर राज्य की ओर से गाड़ियाला का ठिकाना मिला। इनके अतिरिक्त टोकला, हाडला, छनेरी (बीकानेर राज्य) इनके ठिकाने थे।
केलण भाटी : जैसलमेर के रावल केहर के बड़े पुत्र केलण थे। पिता की इच्छा के बिना महेचा राठोड़ों के यहां शादी करने के कारण केहर ने उनको निर्वासित कर अपने दूसरे पुत्र लक्ष्मण को अपना उत्तराधिकारी बनाया। इसी केलण के वंशज केलण भाटी कहलाये। केलण ने अपने राज्य विस्तार की तरफ ध्यान दिया, अजा दहिया को परास्त कर देरावर पर अधिकार किया तत्पश्चात मारोठ, खाराबार, हापासर मोटासरा आदि सहित 140 गांवों पर अधिकार किया।
विक्रमाजीत केलण भाटी : केलण के पुत्र विक्रमाजीत के वंशज।
शेखसरिया भाटी : केलण के पुत्र अखा के वंशज स्थान के कारण शेखसरिया भाटी कहलाये।
हरभम भाटी : राव केलण के पुत्र हरभम के वंशज। नाचणा, स्वरूपसार आदि (जैसलमेर राज्य) इनकी जागीर में था।
नेतावत भाटी : राव केलण के बाद क्रमश: चाचक, रणधीर व नेता हुए। इसी नेता के वंशज नेतावत भाटी हुए। पहले देरावर और बाद में नोख, सेतड़ा आदि गांव इनकी जागीर में थे।
भीमदेवोत भाटी : चाचक के एक पुत्र भीम के भीमदेवोत भाटी भी कहलाये।
किशनावत भाटी : रावल चाचकदे (पूगल) के पुत्र बरसल के पुत्र शेखा थे। शेखा भाटी के पुत्र बाध के पुत्र किशनसिंह के वंशज किशनावत भाटी कहलाये किशनावत भाटियों के हापासर, पहुचेरा, रायमलवाली, खारबारा, राणेर, चुडेहर (वर्तमानअनूपगढ़), भाणसर, शेरपुरा, मगरा, स्योपुरा, सरेह हमीरान, देकसर, जगमालवाली, राडेवाली, लाखमसर, भोजवास, डोगड़ आदि गांवों पर इनका अधिकार रहा था। इनमें खराबार व राणेर बीकानेर राज्य में ताजमी ठिकाने थे। जोधपुर राज्य में मिठड़ियों, चोमू सावरीज व कालाण आदि ठिकाने थे।
खींया भाटी : पूगल के राव शेखा के पुत्र खीमल (खींया) के वंशज खींया भाटी कहलाये। खींया भाटियों की निम्न खापें हैं …
i ) जैतावत : शेखा के पुत्र खीमल (खीया) के पुत्र जैतसिंह के वंशज जैतावत हैं। जैसलमेर रियासत में बरसलपुर (41 गांव) इनका मुख्य ठिकाना था। (अभी बीकानेर जिले में है). पूर्व मंत्री देवीसिंहजी भाटी (बरसलपुर के राव मोतीसिंह जी के पौत्र) व वर्तमान में कोलायत से विधायक अंशुमानसिंह भाटी बरसलपुर के ही हैं।
ii) करणोत : (खीयां) के पुत्र करण के वंशज है। बीकानेर में जयमलसर (27 गांव) इनका मुख्य ठिकाना था। इनके अलावा नोखा और मालकसर की जागीर करणसिंह के पास रही थी। इनके अतिरिक्त नांदड़ा, खजोड़ा, बोरल का खेत, नोखा का बास चोरड़ियान, बास खामरान, डालूसर, जालपसर, (डूंगरगढ़ के पास) तोलियासर (सरदारशहर के पास) सरेह भाटियान, खीलनिया, सियाना आदि गांव थे।
iii ) घनराजोत : खेमल (खींया) के पुत्र घनराज के वंशज। इनके मुख्य ठिकाना बीठनोक था। मारवाड़ में मिठड़िया, चामू व ककोला जो किशनावतों के थे, घनराजोतों को दिये गये। बीकानेर राज्य में खीनासर व जांगलू इनके ठिकाने थे।
बरसिंघ भाटी :राव शेखा के पुत्र बरसिंह हुए । इन्हीं बरसिंह के वंशज बरसिंह भाटी कहलाते हैं। बीकानेर राज्य में मोटासर, कालास, लाखासर, राजासर, लूणखो, भानीपुरा, मंडला, केला, गोरीसर, रघुनाथपुरा, करणीसर, अभारण, चीला, महादेववाली, किशनपुर, अजीत मामा, राहिड़ावाली, बेरा, बेरिया, सादोलाई, सतासर, ककराला, वराला ! जैसलमेर राज्य में बीकमपुर, गिरिराजसर, सीड गांवों में हैं। बरसिंघ भाटी की खांप .....
i ) काला बरसिंघ : बरसिंह के पुत्र काला के वंशज
ii ) सातल बरसिंघ : बरसिंह के पुत्र सातल के वंशज। जोधपुर के राव मालदेव ने मेवाड़ के पास रायन गांव इनको जागीर में दिया था।
iii ) दुर्जनशालोत बरसिंघ : बरसिंह के वंशज दुर्जनशाल के वंशज। सिरड़, कोलासर, पाबूसर, टावरीवाला, खार, गोगलीवाला, चारणतला, पन्ना, भरमलसर, बीकानी, खैरूवाला, गुढ़ा, बावड़ी, भोजा की बाय, गिराधी, गिराजसर, बीकासर, बोगड़सर आदि इनके ठिकाने थे।
पूगलिया भाटी : पूगल के राव अभयसिंह के पुत्र अनूपसिंह को बीकानेर राज्य के सतासर, खीमेरा और ककराला गवां मिले। अनूपसिंह के वंशज पूगल के निकास कारण पूगलिया भाटी कहलाये। इनके अतिरिक्त बीकानेर राज्य में मोतीगढ़, सरदारपुरा, फूलसर, डूंगरसिंहपुरा, हांसियाबास, मीरगढ़, आडेरा आदि गांव थे।
बीदा भाटी : पूगल के राव शेखा के पुत्र हरा के पुत्र बीदा के वंशज। पहले देरावर जागीर में था।
हमीर भाटी : राव हरा के पुत्र हमीर के वंशज भी हमीर भाटी कहे जाते रहे है। पहले बीजनोरा की जागीर थी।
समेचा भाटी : भटनेर के सस्थापक महान राजा भाटी के छोटे भाई समा के वंशज समेचा भाटी कहलाए। विक्रम संवत 1280 के तकरीब फुलड़ा नामक जागीर के वीर मूंगा भाटी अपने कुछ भाईबंदों के साथ मध्य भारत में सिद्धिगंज पहुँचे। सिद्धिगंज के मुस्लिम राजा को समेचा भाटियो ने हराया और सिद्धिगंज को भाटियों की नई राजधानी बनाया। उस समय सिद्धिगंज के अधीन करीब सौ गांव आते थे। काफी समय यहाँ भाटियों का राज रहा। भोपाल स्टेट का उदय हुआ होने के बाद सिद्धिगंज की जागीर भोपाल स्टेट के अधीन हो गई। भोपाल राज्य में भी समेचा भाटी काफी सम्मानित पदों पर रहे। बाद में मुंगा भाटी के वंशजों ने सिद्धीगंज जागीर को पांच भागों में बांट लिया 1)सिद्धिगंज, 2(कुंडिया धागा, 3)बिलपान जागीर, 4)रामपुरा कलां, 5)धुरड़ा कलां। मध्यप्रदेश के सीहोर और देवास जिले में समेचा भाटियों के बहुत सारे गांव एवं ठिकाणे अभी भी है।
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