सांखला व सोढा

Himmat Singh 08 Nov 2025

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सांखला पंवारों की एक शाखा है। वि.सं. 1381 के प्राप्त शिलालेख में शंखकुल शब्द का प्रयोग किया गया है। धरणीवराह पुराने किराडू का राजा था। धरणीवराह के अधीन मारवाड़ का क्षेत्र भी था। धरणीवराह का पुत्र वाहड़ तथा वाहड़ के दो पुत्र सोढ़ और वाघ थे। सोढ़ के वंशज सोढ़ा कहलाए। वाघ जैचन्द पड़ियार (प्रतिहार) के हाथों युद्ध में मारा गया। वाघ का पुत्र वैरसी अपने पिता की मौत का बदला लेने की दृढ़ प्रतिज्ञ था। वैरसी ओसियां सचियाय माता के मन्दिर गया। वहाँ सचियाय माता ने प्रसन्न होकर उसे दर्शन दिए तथा वरदान के रूप में शंख प्रदान किया, तभी से ये बैरसी के वंशज शंख प्राप्ति से सांखला कहलाने लगे। उसने अपने पिता की मृत्यु का बदला लिया। इसने जैचन्द के मूघिताड़ के किले को तुड़वाकर रूण में किला बनवाया, तब से ये राणा कहलाने लगे। बैरसी का पुत्र राजपाल था तथा राजपाल के तीन पुत्र छोहिल, महिपाल और तेजपाल थे। पूर्व में महिपाल का पोता उदगा पृथ्वीराज चौहान के सामंतों में था। राजपाल का पुत्र महिपाल के बेटे रायसी ने रूण आकर जांगलू के चौहानों को हराकर अपना राज्य कायम किया। इनके वंशज रूणेचा साँखला कहलाए।



राजस्थान के पंचवीरों में गिने जाने वाले जांगलू के हरभूजी सांखला बड़े सिद्ध पुरूष हुए। जोधपुर के संस्थापक राव जोधा का जब मंडोर पर अधिकार समाप्त हो गया और वह मेवाड़ की सेना से गुरिल्ला युद्ध कर रहे थे, तो जंगल में हरभूजी सांखला से भेंट हुई। हरभूजी ने जोधाजी को राज्य पुनः स्थापित होने का आशीर्वाद दिया तथा राज्य मेवाड़ से जांगलू तक फैलने की भविष्यवाणी की, जो सत्य हुई। जांगलू के नापाजी सांखला की बहिन जोधपुर के संस्थापक राव जोधाजी को ब्याही थी। जोधाजी के पुत्र तथा बीकानेर राज्य के संस्थपक बीकाजी का वि.स.ं 1522 में वीर और बुद्धिमान नापाजी ने ही जांगलू पर अधिकार कराया था। ये बीकाजी के मामा थे, बीकाजी इनका बहुत सम्मान करते थे। नापाजी के वंशज नापा सांखला कहलाए।



सोढा परमार- किराडू के शासक धरणीवराह का पौत्र व बाहड़ के पुत्र सोढा से परमारों की सोढा शाखा चली। सोढाजी सिंध में सूमरों के पास गये जिन्होंने सोढाजी को ऊमरकोट (पाकिस्तान) से 14 कोस दूर राताकोट दिया। सोढा के सातवें वंशधर धारावर्ष के दो पुत्र आसराव और दुर्जनशाल थे। आसराव ने जोधपुर में पारकर पर अधिकार किया। दुर्जनशाल ऊमरकोट की तरफ गया। उसकी चौथी पीढ़ी के हमीर को जाम तमायची ने ऊमरकोट दिया। राणा सोढा के बड़े पुत्र कुँवर चाचकदेव सोढा हुए और छोटे कुँवर सिन्धलजी थे।



कुँवर सिन्धल जी के पुत्र राणा महेंद्र सिंह सोढा हुए जिनके प्रेम प्रसंग के किस्से मूमल-महेंद्र के नाम से आज भी थार में जाने जाते है। मूमल लोद्रवा के राजा की पुत्री थी। मूमल के महलों के अवशेष जैसलमेर के लोद्रवा गांव में देखे जा सकते हैं। विक्रम संवत 1296 में राणा महेंद्र की पुत्री कायलादे का विवाह धांधल जी के पुत्र पाबूजी राठौड़ से हुआ था।



उमरकोट के राणा वीरशाल ने ही दिल्ली के बादशाह हुमायूँ को शरण दी थी और अकबर का जन्म उमरकोट के किले में हुआ । बाद में अकबर ने राणा के कर्ज को एक चिन्ह हमीराणा दाग देकर उतारा। उस चिन्ह के पशुओं पर और राज्य में जजिया कर नही लिया जाता था। उस हमीराणा दाग से दागे गए पशु मुगल राज्य में नीलाम नही होते थे।



1947 तक उमरकोट एक स्वतन्त्र रियासत थी जो कि अब पाकिस्तान में है। राणा अर्जुन सिंह ने राजपुतनाने में न जाकर विभाजन के समय पाकिस्तान में जाने का निर्णय लिया था। पाकिस्तान के कुछ बड़े राजपूत नाम...

1) राणा चन्द्र (चंदेर) सिंह सोढा, पाकिस्तान के पूर्व कृषि और राजस्व मंत्री व निर्दलीय सांसद लगातार 53 साल।

2) ठाकुर लक्ष्मण सिंह जी सोढा, पाकिस्तान के पूर्व केंद्रीय रेल मंत्री व पूर्व संघीय मंत्री (जनरल अयूब खान की सरकार में ) ! लक्ष्मण सिंह सोढा पाक के प्रमुख नेता ज़ुल्फिकार अली भुट्टो के बेहद करीबी माने जाते थे। पूर्व प्रधानमंत्री स्व बेनजीर भुट्टो को उन्होंने अपनी गोद में खिलाया था।

3) राणा हमीर सिंह सोढा वर्तमान अमरकोट राजघराने और सोढा राजपूतो - के 26 वे राणा साहब, 'कृषि मंत्री सिंध' सूबा। जिनके पुत्र कुंवर करणी सिंह का विवाह 2014 में जयपुर के कानोता ठिकाने में मान सिंह की पुत्री पद्मिनी कँवर से हुआ।

3) ठाकुर राम सिंह सोढा पूर्व विधायक, मेयर थारपारकर जिला।

4) ठाकुर अखेसिंह सोढा पश्चिम पाकिस्तान के छाछरो के पूर्व विधायक।

5) ठाकुर लालसिंह सोढा पश्चिम पाकिस्तान के छाछरो के पूर्व विधायक।



सोढा राजपूतों का सिन्ध में बाहुल्य हैं, पाकिस्तान में सिंध के छाछरो, अमरकोट, नगरपारकर, मिठी मीरपुर, रोहड़ी, गढरा, खिंपरो, सांगड, मऊ, राणा जागीर थारपारकर तथा डिपलो आदि कस्बो में सोढा परमार राजपूतो की एक बड़ी तादाद है जो आज भी अपने ठाट बाट से जी रहे है। भोजराज सोढा के वंशजों में सारे अच्छे जगिरदार है।
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Published on 08 Nov 2025